तोबी कच्चा बी कच्चा, नहीं गुरु का बच्चा
दुनिया तजकर खाक लगायी,जाकर बैठा बन्मो,
खेचरी मुद्रा बज्रासन पर, ध्यान धरत है मनमो..........१
गुप्ता होवे परगट होवे, जावे मथुरा कशी ,प्राण किकले,
सिद्ध भय है, सत्य लोग का वाशी...................................२
तीरथ करकर उमर खोई,जोग जुगात्मो साडी,
धन ,कमिनिको नज़र न लावे, जोग कमाया भरी...................३
कुण्डलिनी को खूब चढावे ब्रह्मोरंध्रामो जावे,
चलता है पानी के ऊपर ,मुख बोले सो होवे..........................४
शत्रोमे कछु रही न बाकि,पुरा ज्ञान कमाया,
वेड विधि का मार्ग चलकर,तन का लाकर किया...........................५
कहे मछिंदर सुन रे गोरख,तीनो ऊपर जन, किरपा भाई,
जब सद्गुरु जी की, आप आप को चिह्न.....................................
सोही सच्चा बे सच्चा, ओही गुरु का बच्चा.............................
गोरख बोली सुनहु रे अवधू, पंचों पसर निवारी ,अपनी आत्मा एपी विचारो, सोवो पाँव पसरी,“ऐसा जप जपो मन ली | सोऽहं सोऽहं अजपा गई ,असं द्रिधा करी धरो ध्यान | अहिनिसी सुमिरौ ब्रह्म गियान ,नासा आगरा निज ज्यों बाई | इडा पिंगला मध्य समाई ||,छः साईं सहंस इकिसु जप | अनहद उपजी अपि एपी ||,बैंक नाली में उगे सुर | रोम-रोम धुनी बजाई तुर ||,उल्टी कमल सहस्रदल बस | भ्रमर गुफा में ज्योति प्रकाश || गगन मंडल में औंधा कुवां, जहाँ अमृत का वसा |,सगुरा होई सो भर-भर पिया, निगुरा जे प्यासा । ।,
yeh konsa mantra hai yeh kisliye japte hai
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