गोरख बोली सुनहु रे अवधू, पंचों पसर निवारी ,अपनी आत्मा एपी विचारो, सोवो पाँव पसरी,“ऐसा जप जपो मन ली | सोऽहं सोऽहं अजपा गई ,असं द्रिधा करी धरो ध्यान | अहिनिसी सुमिरौ ब्रह्म गियान ,नासा आगरा निज ज्यों बाई | इडा पिंगला मध्य समाई ||,छः साईं सहंस इकिसु जप | अनहद उपजी अपि एपी ||,बैंक नाली में उगे सुर | रोम-रोम धुनी बजाई तुर ||,उल्टी कमल सहस्रदल बस | भ्रमर गुफा में ज्योति प्रकाश || गगन मंडल में औंधा कुवां, जहाँ अमृत का वसा |,सगुरा होई सो भर-भर पिया, निगुरा जे प्यासा । ।,
मंगलवार, 20 जनवरी 2009
श्री दत्तात्रेय सुप्रभातम
श्री दत्तात्रेय सुप्रभातम
श्री जाता धरम पांडू रंगम
अटल चित्तं ध्यानं श्री रंगम
कटाक्ष कारुन्य भाव परेड संगम
तटस्थ मग्न भजे नित्यम करोति मंगलम
श्री दत्तात्रेय तव सुप्रभातम... १
श्री कर्पूर कांति देहाया
अपूर्व तेजस रूपया
जपति सदा नित्य निरंजनाय
कृपालु शिरसे शोभिताया
श्री दत्तात्रेय
तव सुप्रभातम... २
श्री वेदा शास्त्र परिज्नानाया
अदि ब्रह्म मध्ये विष्णु
नंतर सदाशिवाय
सुबोधिता परब्रह्म श्री दत्तात्रेय
गदापानी वनमाला सुकंद्राया
श्री दत्तात्रेय तव सुप्रभातम... ३
श्री ब्रह्मज्नाना मई संकेताया
ब्रह्म, विष्णु,
महेश्वर मूर्तिश्वरूपाया
अहम्, अंहकार, गर्व निर्मूलानाया
अहोबली महाबली महाराजाय
श्री दत्तात्रेय तव सुप्रभातम... ४
श्री गुरुदेव गुरुश्रेष्ठाया
चिर्चिन्ताना श्री गुरु भजनाया
नारा नारानाम सर्वनाम मार्ग डर****आया
करातालास्ठे त्रिशूल धरिताया
श्री दत्तात्रेय तव
सुप्रभातम... ५
श्री गंगाधर जटाधर त्रिनेत्राय एक रूपा
अंगा श्री रंग अदिशेशाया विश्व रूपा
Sanga Sant Rishi Muni Vedichhara
सदा ब्रह्म स्वरूप
अंगा एक सगुण त्रिमूर्ति अगाध स्वरूप
श्री दत्तात्रेय तव सुप्रभातम... ६
हृपाद, श्री वल्लभा
भक्त हृदये निवासाया
अपरम्पार महिमा कीर्ति त्रिलोक व्यपकाया
अपार श्रद्धा एकाग्रचित्त समंविताया
कौपलीन त्रिरूपे एक रूपया
श्री दत्तात्रेय तव सुप्रभातम... ७
श्री पादुका प्रतिष्ठे
नित्य सम्प्रीत
विद्या सरस्वती अलान्कारे पूजीत
पदारविंदा मस्तक मंदिते वरदान करीत
सदाशिव नाम श्री हरिहर ब्रह्म एक रूपीत
श्री दत्तात्रेय
तव सुप्रभातम... ८
श्री गुरु अदि, गुरु अनादी
गुरु परमदेवता सदा
गुरुहू परतरं क्षेम प्रदयिता
पड़े पड़े
गुरु ब्रह्म गुरु विष्णु
गुरु देवा महेश्वर वादे
श्री दत्तात्रेय तव सुप्रभातम... ९
श्री गंगापुर चिरस्थायी औदुम्बराया
अनाठी प्रतिष्ठे अक्काल्कोते निवासिता
स्वामी सामर्थ्य
गुनावंताया अवधूत दत्ता
पन्त महाराजाय
पुन्यमूरती शेगओंवे स्थायी
गजानन महाराजाय
श्री दत्तात्रेय तव सुप्रभातम... १०
श्री अनुसूया तनया श्री देव दत्ता
तनमाना शोभे श्री साईं भाव चिट्टा
अनुकम्पय भक्त निरंजन दत्ता
अनुमोदित दिव्या रूपया श्री गुरु देव दत्ता
श्री दत्तात्रेय तव सुप्रभातम... ११
श्री आत्रेय ऋषि संतान शोभय
म्यित्रेय Runanubhandha Anukramaya
Atreya Varadaan Shri Vallabhaya
गोत्र सुरजन निलान्जनाया
श्री दत्तात्रेय तव सुप्रभातम... १२
श्री आनंदम
परमानान्दम ब्रह्मानंदा देती
अनंता अनादी अनागा जनाना रूप धरती
अनुरेनु तराना कष्ट समवेता टी
अनन्य भवीं भजे भक्त कल्याण कराती
श्री दत्तात्रेय तव सुप्रभातम... १३
श्री देवधि देव देवाय
दिव्या जनाना अत्मनाया
अवतार स्वरूपाय महात्मय
स्थावर गाठी चालक जगाता कल्यानाया
श्री दत्तात्रेय तव सुप्रभातम... १४
श्री दत्तात्रेय श्रेष्ठ देवा जन गणस्य
श्री दत्तात्रेय वरिष्ठ त्रि भुवनस्य
श्री दत्तात्रेय ब्रह्म, विष्णु, महेश्वर त्रिमूर्ति स्वरुप (अनुपमस्य)
श्री दत्तात्रेय प्रकृति, सृष्टि संकूलास्य
श्री दत्तात्रेय तव सुप्रभातम... १५
श्री गुरु दत्तात्रेय
“ दत्तं भजे गुरु दत्तं भज ||
अत्री अनसूया पुत्र दत्तं भजे”||
“अनंता कोटि ब्रह्मांडा नायका राजाधि रजा योगिराज परब्रह्म श्री दत्तात्रेय ,
श्रीपाद श्रीवल्लाभा वल्लभा श्री न्रूसिहं सरस्वत्ति स्वामी महाराज की जय ।”
गुरुर-ब्रह्म, गुरुर-विष्णुः; गुरु-देवो महेस्वरह;
गुरुर-साक्षाथ परम ब्रह्म; थास्मै श्री गुरवे नमः:
“गुरुर-पिटा, गुरुर-माता, गुरु-देवं, गुरु-गतिः,
सिव-र्य्स्गते गुरु-स्त्राता, गुरु रुष्ट न कस्काना”।
“दात्तात्रेयम-गुरुम-देवं; ध्याये अनिसम-सदा-सिवम
तन्मात्रम – तस्य – गिताम्चा; व्य-कुर्वे-तट-प्रसदेह”
“अवधूता, सदानान्दा, परब्रह्म, स्वरूपिने
विदेह देहा, रूपया दत्तात्रेय नमोस्तुते” ||
श्री गुरु अष्टकम
शरीरं सुरूपं ठाठ वा कलत्रं
यासस्क्हरू चित्रं धनं मेरु तुल्यम
गुरो रंघ्री पद्म मनास्चे न लग्नं
तातःकिम तातःकिम तातःकिम तातःकिम
कलत्रं धनं पुत्र पौत्रादी सर्वं
गृहम भान्दवा सर्व मेत्ताधि जातं
गुरो रंघ्री पद्म मनास्चे न लग्नं
थातःकिम तातःकिम तातःकिम तातःकिम
शादंगाधि वेदों मुखे शास्त्र विद्या
कवित्व आधी गढ़यम सुपध्यम करोति
गुरो रंघ्री पद्म मनास्चे न लग्नं
तातःकिम तातःकिम तातःकिम तातःकिम
विधेसेशु मान्यः स्वधेसेशु धन्यः
सधाचारा वृत्तेशु मत्तोना चान्यः
गुरो रंघ्री पद्म मनास्चे न लग्नं
तातःकिम तातःकिम तातःकिम तातःकिम
क्षमा मंडल भूपा भूपाला ब्रिन्दिही
सदा सेवितं यस्य पादाराविन्दम
गुरो रंघ्री पद्म मनास्चे न लग्नं
तातःकिम तातःकिम तातःकिम तातःकिम
यशो में धिक्शु धाना प्रतापाथ
जगाद्वस्तु सर्वं करे यात्प्रसादाथ
गुरो रंघ्री पद्म मनास्चे न लग्नं
तातःकिम तातःकिम तातःकिम तातःकिम
अशो में धिक्शु धाना प्रतापाथ
जगाद्वस्तु सर्वं करे यात्प्रसादाथ
गुरो रंघ्री पद्म मनास्चे न लग्नं
तातःकिम तातःकिम तातःकिम तातःकिम
न भोगे न योग्हे न वा वाजिराजा
न काँटा मुखे नैव वित्तेशु चित्तं
गुरो रंघ्री पद्म मनास्चे न लग्नं
तातःकिम तातःकिम तातःकिम तातःकिम
अरण्ये न वा स्वस्य गेहे न कार्य
न देहे मनो वर्तते में त्वनार्ग्ये
गुरो रंघ्री पद्म मनास्चे न लग्नं
तातःकिम तातःकिम तातःकिम तातःकिम
अनार्ग्यानी रत्नानी भुक्तानी सम्यक
समां लिंगिता कामिनी यामिनीशु
गुरो रंघ्री पद्म मनास्चे न लग्नं
तातःकिम तातःकिम तातःकिम तातःकिम
गुरोराश्ताकम यह पतेतु पुन्यदेही
यातिर भुपतिर ब्रह्मचारी च गेही
लभेद वान्सितार्थम पदं ब्रह्म संज्नाम
गुरो रुकता वाक्ये मनो यस्य लग्नं
आईटीआई श्री जगद्गुरु शंकराचार्य विरचितं
श्री गुरु वाश्ताकम सम्पूर्णम्
हरी ॐ
श्री दत्त स्तवं
दात्तात्रेयम महात्मानं | वरदाम भक्त वत्सलं
प्रपन्नार्थी हरम वंदऐ | स्मर्थ्रुगामी सनोवात्हू |
दीनाबंधुम कृपा सिन्धुम | सर्व कारण कारणं
सर्व रक्षा करम वंदे | स्मर्थ्रुगामी सनोवात्हू|
सरनागाथा दीनार्थरा | परित्राण परायणं |
नारायणं विभुम् वंदे | स्मर्थ्रुगामी सनोवात्हू |
सर्वानार्धा हरम देवं | सर्व मंगला मंगलम |
सर्व कलेसा हरम वंदे | स्मर्थ्रुगामी सनोवात्हू |ब्रह्मंयम धर्मं तत्वग्नम | भक्ता कीर्ती विवर्धनम |
भक्थाभीस्ता प्रदम वंदे | स्मर्थ्रुगामी सनोवात्हू |
सोशानाम पापा पंकस्य | दीपनं जनाना तेजसा |
थापा प्रसमनाम वंदे | स्मर्थ्रुगामी सनोवात्हू |
सर्व रोग प्रसमनाम | सर्व पीड़ा निवारणं |
विपदुधारानाम वंदे | स्मर्थ्रुगामी सनोवात्हू |जन्मा संसार भंदुग्नम | स्वरूपनान्दा दायकं |
निस्रेयासा पदं वंदे | स्मर्थ्रुगामी सनोवात्हू |
जाया लाभा यस कामः | दाठुर्दात्ता स्ययास्तावं |
भोगामोक्षा प्रदस्येमम | प्रपतेथ सक्रुठेभावेथ |
श्री दत्ता शरणम् मम