“ दत्तं भजे गुरु दत्तं भज ||
अत्री अनसूया पुत्र दत्तं भजे”||
“अनंता कोटि ब्रह्मांडा नायका राजाधि रजा योगिराज परब्रह्म श्री दत्तात्रेय ,
श्रीपाद श्रीवल्लाभा वल्लभा श्री न्रूसिहं सरस्वत्ति स्वामी महाराज की जय ।”
गुरुर-ब्रह्म, गुरुर-विष्णुः; गुरु-देवो महेस्वरह;
गुरुर-साक्षाथ परम ब्रह्म; थास्मै श्री गुरवे नमः:
“गुरुर-पिटा, गुरुर-माता, गुरु-देवं, गुरु-गतिः,
सिव-र्य्स्गते गुरु-स्त्राता, गुरु रुष्ट न कस्काना”।
“दात्तात्रेयम-गुरुम-देवं; ध्याये अनिसम-सदा-सिवम
तन्मात्रम – तस्य – गिताम्चा; व्य-कुर्वे-तट-प्रसदेह”
“अवधूता, सदानान्दा, परब्रह्म, स्वरूपिने
विदेह देहा, रूपया दत्तात्रेय नमोस्तुते” ||
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