नाथ पंथी धुप मंत्र
ॐ नमो आदेश. गुरूजी को आदेश. ॐ गुरूजी. पानी का बूंद, पवनका थम्ब, जहा उपजा कल्प वृक्ष का कंध।
कल्पवृक्ष वृक्ष को छाया । जिसमे तिल घुसले के किया वास।
धुनी धूपिया अगन चढाया, सिद्ध का मार्ग विरले पाया।
उरध मुख चढ़े अगन मुख जले होम धुप वासना होय ली, l
एकिस ब्रह्मंडा तैतीस करोड़, देवी देव कुन होम धुप वास।
सप्तमे पटल नव्कुली नाग , वसुक कुन होम घृत वास।
श्री नाथाजी की चरण कम पादुका कुन होम धुप वास।
अलील अनद धर्मं राजा धर्मं गुरु देव कुन होम धुप वास।
धरतरी अकास पवन पानी कुन होम धुप वास।
चाँद सूरज कूं होम धुप वास ,
तारा ग्रह नक्षत्र कूं होम धुप वास।
नवनाथ चौरासी सिद्ध कूं होम धुप वास।
अग्नि मुख धुप पवन मुख वास।
वासना वासलो थापना थाप्लो जहाँ धुप तह देव।
जहा देव तह पूजा . अलख निरंजन और न दूजा।
इति मंत्र पढ़ धुप ध्यान करे सो जोगी अमरपुर तारे।
बिना मंत्र धुप ध्यान करे खाय जरे न वाचा फुरे।
इतना धुप का मंत्र जप संपूर्ण सही। ।
अनंत कोट सिद्ध मे श्री नाथजी कही,
नाथजी गुरूजी कूं आदेश आदेश, , ,
ॐ चैतन्य कानिफ नाथाय नमः .. ॐ शिव गोरक्ष... । । । । ॐ । । । अल्लख । । ।