रविवार, 14 सितंबर 2008

मन्त्रपुश्पांजलि

सं सर्वात्मकं श्री सद्गुरुवे नमः, मन्त्रपुश्पांजलि समर्पयामि

ओमकाराची वलये सोऽहं च नाद , माता कुन्दलिनिला घाली साद,
तीव्र साधनेचे तरल पडसाद, मार्ग दाखविती माया मछिन्द्रनाथ

सांडोनी संशय धरी निर्धार , श्री गुरु मूर्ति कानीफा देईल आपार ,
सहज गुरु कृपा सागर , तुज नुपेक्षी सर्वदा,

गुरु हा संत कुलिचा राजा , गुरु हा प्राण विसावा माज़ा ..

अगर हम नवनाथ के नाम पर , तो नवनाथ हमारे काम पर .......................
अगर हम अपने काम पर , तो नवनाथ अपने निजधाम पर ................................