नव-नाथ-स्मरण
“आदि-नाथ ओ स्वरूप, उदय-नाथ उमा-माहि-रूप. जल-रूपी ब्रह्म सैट-नाथ, रवि-रूप विष्णु संतोष-नाथ. हस्ती-रूप गणेश भतीजी, ताकू कन्थाद-नाथ कही जय. माया-रूपी मछिंदर-नाथ, चाँद-रूप चौरंग्गी-नाथ. शेष-रूपअचम्भे-नाथ, वायु-रूपी गुरु गोरख-नाथ. घाट-घाट-व्यापक घाट का राव, अमी महा-रस स्त्रावती खाव. ॐ नमोनव-नाथ-गण, चौरासी गोमेश. आदि-नाथ आदि-पुरूष, शिव गोरख आदेश. ॐ श्री नव-नाथाय नमः..”
विधिः- उक्त स्मरण का पथ प्रतिदिन करे. इससे पापों का क्षय होता है, मोक्ष की प्राप्ति होती है. सुख-संपत्ति-वैभव सेसाधक परिपूर्ण हो जटा है. २१ दिनों तक २१ पथ कराने से इसकी सिद्धि होती है.
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