शिव गोरक्ष जाप ................सती पीर काया नाथ कथित
शिव गोरक्ष गुन गाईये नित उठ मनुज प्रभात
गुरां देवी पुजिये, रिद्धि सिद्धि की मत..१..
शिव गोरक्ष के सिमरयं, सब दुःख होवन दूर
दूध पुत घर लक्ष्मी सदा रहे भरपूर..२..
कष्ट कलेश मिटाया दे और मिटावे पाप..३..
मै प्राणी भी तन तरु जे शिव गोरक्ष टेक..४..
पञ्च तत्वा का रंग आपे ही बन जाया.. ५..
शिव गोरक्ष बिन वन्द्य किस ,कम तेरा श्वास..६..
मै सेवक गोरक्ष का दास, हरदम रह नाथ की आस..७..
शिव गोरक्ष हिय सिमरिये बेडा होवे पार..८..
वेद पुराण पुकारते, कीर्ति रहे बढाया..९..
शिव गोरक्ष नाम में मगन रहो दिन रैन..१०..
शिव गोरक्ष ही वन्द्य ! सदा करे कल्याण ..११..
सुच संपत्ति सदा रहे , चढ़त सवाया रंग..१३.
शिव गोरक्ष को ध्ययिये, मनवंचित फल पाय॥१४..
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