सोमवार, 19 जनवरी 2009

रवि धुरंधर



मेरा नाम रवि धुरंधर है ...मै उन तमाम दोस्तों का शुक्र गुजर हूँ जिन्होंने मुझे शिव गोरक्ष के बारे में लिखने के लिए प्रोत्साहित किया।
नाथ पंथ में मेरी रूचि तब से शुरू हुई जब मैं अपना पदवी अभ्यासक्रम शुरू किया था ।
एक दिन सदगुरूजी कानिफनाथ जी ने दृष्टांत देकर अपने पास बुलाया और मैं उन्ही का होकर रहा गया ...
कानिफनाथ जी की संजीवन समाधी तीर्थ क्षेत्र मढ़ी स्तिथ है ...रंगपंचमी उनका समाधी दिवस है ..उस दिन मढ़ी में यात्रा होती है...वह गुढी पडवा तक चलती है ..गुढी पडवा को स्वामी माया मछिन्द्र नाथ जी को स्नान कराया जाता है ..और नई गलफ चढाई जाती है ॥ रंगपंचमी को मढ़ी में रहना बहोत भाग्य की बात होती है ॥ सब नाथ पंथी लोग दर्शन के लिया देशभर से आते है ॥
नाथ पंथ के मुख्य माया मच्चिन्द्र नाथ भले ही रहे हो लेकिन , शिव गोरक्ष ही मुख्य प्रवर्तक रहे है ॥
सम्पुर्ण विश्व में उनका भ्रमण रहा है॥ नाथ पंथ का जन्म बौध धर्मं से हुआ है ..मचिन्द्र नाथ बंगाल प्रान्त से मध्य प्रदेश होकर महाराष्ट्र में आए और उपदेश लोगों को देते हुए मायाम्बा में समधिस्ता हुए ।

नवनाथ भक्तिसर पढ़े तो हम जन सकते है की ॥
मठित राहिला ॥ कनिफा जाती ॥ उपरी मच्चिन्द्रसी माय बाप म्हणती

कानिफनाथ महाराज जी के समाधी के बिल्कुल सामने की पहाड़ पर मचिन्द्रनाथ समधिस्ता है ।

और दोनों समाधी के बिल्कुल बिच में एक ऐसी जगह है जहा पर शिव गोरक्ष जी का तपस्चर्या स्थल है ।
मैं सब लोगो से गुजारिश करता हूँ की आप सभी समाधी दर्शन के लिया रंगपंचमी को जरुर जाए .एक अलग ही अनुभव प्राप्त होगा ॥ अलख निरंजन घोष कान में सदा के लिया गूंजता रहेगा ॥ जो भी मढ़ी जाता है नाथ पंथी बनकर रह जाता है॥ नाथ जी का आशीर्वाद हमेशा के लिया साथ रहता है ॥
मढ़ी जाने के लिए अहमदनगर जाना होता है ..वहा से मढ़ी के लिए बस होती है। अथवा नगर पाथर्डी बस पकड़कर निवडुंग पता पर उतर जाया और वहा से ऑटो करके भी मढ़ी जाया जा सकता है। एक बार जाकर अनुभव ले ॥

कानिफनाथ जी के गुरु सदगुरु जलिंदर नाथ जी यावल वाडी स्तिथ है ॥ जो मढ़ी से ७० किलोमीटर है ॥
मढ़ी जाकर आप सदगुरु शंकर महाराज के वृधेश्वर में जा सकते है॥ इसे नाथ पंथ की गंगोत्री कहा जाता है ॥ एस जगह में गहिनीनाथ जी का तपस्चर्या स्थल है ।
एक तरह से अहमदनगर नाथपंथ की करमा भूमि रही है॥
मैं आप सबसे गुजारिश करता हूँ की आपके पास कोई भी नाथ पंथ पर सामग्री उप्लभ्द हो तो जरूर बताये॥
मैं जीवन भर आपका उप कृत रहूँगा ॥

धन्यवाद्

आपका

रवि धुरंधर
बदलापुर
९३२४१०७८०६

3 टिप्‍पणियां:

  1. aadesh hai jai alah niranjan nath samprdayko bhaj ne wale bandhu tumhe avashya mokdha prapt hogi nathoki leela aagadh hai, jis ki tulna kisi devta se nahi ki jaa sakti, aahaha, dhanya hai aap jo aapne natho ka smaran kiya, ise jivit rakhiye aap ka kalyan hoga, mai bhi aap hi ki taraha nath sampradayke bareme khoj karta rehta hoon mera mail id hai, eklavya9099@yahoo.com

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  2. aadesh raviji aapko ap ne ye jo blog banaya hai natho ke bare me prachar karke aap ko avashya moksha prapt hoga, aahaha jo natho ka smaran klarte hai unke kasht vahinse nivaran ho jata hai, aise hi surfin karte mujhe 3 saal hogey koi bandhu muje is panth ke bare me khoj karte nahi mila mai bhi ek din bhatakte bhatakte baba kanif nath ji ke darbaar me pahuncha, main kuch bhi nahi jaan ta tha aur unka mujhe apne dvar pe bulana yeh 1 mere liye divya anubhav raha hai aaj mujhe unke bare me kai baar drushtant ho chuka hai,mai aksar avshya,purva ko jata hoon, bahot shanti sur divya anubhav milta hai maine kam samay me is nath panth ke bareme jaan kari hasil ki,aaj meri duniya unhike naam se shuru hoti hai, aur main din ke kaam karta hoon , bade dukh ki baat hai dharti ke manushya pranike annadata dukh aur kadhtoka nash karne wale ati shighra phalit honewale yeh nath dhanya hai aap bolo jai alakh niranjan aadesh hai sarv nath bhakto ko ,ravindraji main aap se avashya milna chahunga kun ki mai bhi nath sampraday ki khoj me hoon, ise dharti se lupt nahi hone dena hai. mera naam gurudasjihai maibhi mumbai ka hoon, mera mail id hai ,gurudasjiashtro99@hotmail.com, main avashya jawb chahunga jai alakh niranjan

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  3. नव-नाथ-स्मरण
    “आदि-नाथ ओ स्वरुप, उदय-नाथ उमा-महि-रुप। जल-रुपी ब्रह्मा सत-नाथ, रवि-रुप विष्णु सन्तोष-नाथ। हस्ती-रुप गनेश भतीजै, ताकु कन्थड-नाथ कही जै। माया-रुपी मछिन्दर-नाथ, चन्द-रुप चौरङ्गी-नाथ। शेष-रुप अचम्भे-नाथ, वायु-रुपी गुरु गोरख-नाथ। घट-घट-व्यापक घट का राव, अमी महा-रस स्त्रवती खाव। ॐ नमो नव-नाथ-गण, चौरासी गोमेश। आदि-नाथ आदि-पुरुष, शिव गोरख आदेश। ॐ श्री नव-नाथाय नमः।।”

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