सोमवार, 2 फ़रवरी 2009

गुरु समर्पण स्तुति

"अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथो मे |

है जीत तुम्हारे हाथो मे और हार तुम्हारे हाथो मे ||

अब सौंप दिया ....

मेरा निश्चय है बस एक यही, इक बार तुम्हे पा जाऊ मे |

अर्पण कर दू दुनिया भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथो मे ||

अब सौंप दिया ....

जो जग मे राहू तो ऐसे राहू, ज्यो जल मे कमल का फूल रहे |

मेरे सब गुन दोष समर्पित हो, भगवान तुम्हारे हाथो मे ||

अब सौंप दिया ....

यदि मानव का मुझे जनम मिले, तो तब चरणों का पुजारी बनू |

इस पूजक की इक इक राग का, हो तार तुम्हारे हाथो मे ||

अब सौंप दिया ....

जब जब संसार का कैदी बनू, निष्काम भाव से कर्म करू |

फ़िर अंत समय मे प्राण ताजू, साकार तुम्हारे हाथो मे ||

अब सौंप दिया ....

मुझ मे तुझ मे भेद यही, मे नर हूँ तुम नारायण हो |

मे हूँ संसार के हाथो मे, संसार तुम्हारे हाथो मे ||

अब सौंप दिया ...."

गृहस्थ आरती

गृहस्थ आरती

"जे गुरुदेव दयानिधि दीनन हितकारी |

जे जे मोह विनाशक भावः बंधन हारी ||

जे-जे-जे गुरुदेव ...

ब्रह्म विष्णु सदा शिव गुरु मूरत धारी |

वेड पुराण बखानत गुरु महिमा भारी ||

जे-जे-जे गुरुदेव ...

जप टाप तीरथ संयम दान विविध कीजेई |

गुरु बिन ज्ञान होवे कोटि यत्न कीजेई ||

जे-जे-जे गुरुदेव ...

माया मोह नदी जल जीव बहे सारे |

नाम जहाज बिठा कर गुरु पल मे तारे ||

जे-जे-जे गुरुदेव ...

काम क्रोध मद मत्सर चोर बड़े भारी |

ज्ञान खडग दे कर मे गुरु सब संहारे ||

जे-जे-जे गुरुदेव ...

नाना पंथ जगत मे निज-निज गुन गावे |

सब का सार बता कर गुरु मार्ग लावे ||

जे-जे-जे गुरुदेव ...

गुरु चरनामार्ट निर्मल सब पातक हारी |

वचन सुनत श्री गुरु के सब संशयहारी ||

जे-जे-जे गुरुदेव ...

तन मन धन सब अर्पण गुरु चरनन कीजेई |

ब्रह्मानंद परम पड़ मोक्ष गति दीजेई ||

जे-जे-जे गुरुदेव ..."

वन्दना एवं आरती

वन्दना एवं आरती

"कर्पूर गोरम करुनावातारम, संसार सारं भुजगेन्द्र हरम |

सदा वसंतम ह्रदयारविन्दे, भावं भवानी सहितं नमामि ||

नारायानो त्वं निखिलेश्वारो त्वं,

माता-पिता गुरु आत्मा त्वमेवं |

ब्रह्मा त्वं विष्णुश्च रुद्रस्त्वमेवं;

सिद्धाश्रमो त्वं गुरुत्वं प्रनाम्यम ||

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विश्नुह गुरुर्देवो महेश्वरः |

गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मि श्री गुरुवे नमः ||"