सोमवार, 2 फ़रवरी 2009

गुरु समर्पण स्तुति

"अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथो मे |

है जीत तुम्हारे हाथो मे और हार तुम्हारे हाथो मे ||

अब सौंप दिया ....

मेरा निश्चय है बस एक यही, इक बार तुम्हे पा जाऊ मे |

अर्पण कर दू दुनिया भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथो मे ||

अब सौंप दिया ....

जो जग मे राहू तो ऐसे राहू, ज्यो जल मे कमल का फूल रहे |

मेरे सब गुन दोष समर्पित हो, भगवान तुम्हारे हाथो मे ||

अब सौंप दिया ....

यदि मानव का मुझे जनम मिले, तो तब चरणों का पुजारी बनू |

इस पूजक की इक इक राग का, हो तार तुम्हारे हाथो मे ||

अब सौंप दिया ....

जब जब संसार का कैदी बनू, निष्काम भाव से कर्म करू |

फ़िर अंत समय मे प्राण ताजू, साकार तुम्हारे हाथो मे ||

अब सौंप दिया ....

मुझ मे तुझ मे भेद यही, मे नर हूँ तुम नारायण हो |

मे हूँ संसार के हाथो मे, संसार तुम्हारे हाथो मे ||

अब सौंप दिया ...."

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें