मंगलवार, 27 जनवरी 2009

शिव गोरक्ष जाप .......सती पीर काया नाथ कथित

शिव गोरक्ष जाप ................सती पीर काया नाथ कथित

शिव गोरक्ष गुन गाईये नित उठ मनुज प्रभात

गुरां देवी पुजिये, रिद्धि सिद्धि की मत....

शिव गोरक्ष के सिमरयं, सब दुःख होवन दूर

दूध पुत घर लक्ष्मी सदा रहे भरपूर....

नाथ सही आखिरी, होवे आपे आप

कष्ट कलेश मिटाया दे और मिटावे पाप....

शिव गोरक्ष के नाम से पापी ताते अनेक

मै प्राणी भी तन तरु जे शिव गोरक्ष टेक....

शिव गोरक्ष के रंग हर मी रह्यो समाया

पञ्च तत्वा का रंग आपे ही बन जाया.. ..

शिव गोरक्ष को ध्येय सब दुःख होवन नाश

शिव गोरक्ष बिन वन्द्य किस ,कम तेरा श्वास....

नाथ मिटा दे जीवन मरण , मै प्राणी नाथ की शरण

मै सेवक गोरक्ष का दास, हरदम रह नाथ की आस....

शिव गोरक्ष बिन वन्द्य ! सुना है संसार

शिव गोरक्ष हिय सिमरिये बेडा होवे पार....

महिमा शिव गोरक्षनाथ की , मुझसे कथी जाय

वेद पुराण पुकारते, कीर्ति रहे बढाया....

शिव गोरक्ष हृदय धरो, जे चाहो सुच चैन

शिव गोरक्ष नाम में मगन रहो दिन रैन..१०..

शिव गोरक्ष के चरण में नित उठ धरो ध्यान

शिव गोरक्ष ही वन्द्य ! सदा करे कल्याण ..११..

शिव गोरक्ष सम और , हिरदय सोच विचार

वेद पुराण पुकारते , शिव गोरक्ष नाम उचार..१२..

शिव गोरक्ष के भजन से, पाप लगे अंग

सुच संपत्ति सदा रहे , चढ़त सवाया रंग..१३.

शिव गोरक्ष के नाम से,, अन्धकार मिट जाय

शिव गोरक्ष को ध्ययिये, मनवंचित फल पाय१४..

शिव गोरक्ष के भजन विन पांचो होवे खवर

कम क्रोध लोभ मोह और अन्धकार..१५॥

सभी देवता दैवते , गोरक्ष के तस्वीर

भेद भावः का त्याग कर कंचन करो शरीर..१६॥

भक्तो के दुःख हरण को आवे नाथ ततसार

जो नर उनको सेवते धन धन है लख बार ..१७॥


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