शनिवार, 27 सितंबर 2008

गोरक्ष नाथ शिष्य भ॰ गहिनीनाथ परम्परा के शाबर मन्त्र

भ॰ गहिनीनाथ परम्परा के शाबर मन्त्र
॰ “ॐ निरञ्जन जट-स्वाही तरङ्ग ह्राम् ह्रीम् स्वाहा”
२॰ “ॐ रा रा ऋतं रौभ्यं स्तौभ्यं रिष्टं तथा भगम्।
धियं च वर्धमानाय सूविर्याय नमो नमः।।”
विधि- नित्य प्रातःकाल स्नान के बाद उक्त मन्त्र का १०८ बार जप करें। ऐसा ८ दिन करने से मन्त्र सिद्ध होते हैं। बाद में नित्य २७ बार जप करें।

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