। दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा। । दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा। । श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा। । श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा। । दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा। । दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा। । दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा। । अवधूत चिंतन श्री गुरूदेव दत्त। । श्रीपाद वल्लभ श्री गुरूदेव दत्त।
गोरख बोली सुनहु रे अवधू, पंचों पसर निवारी ,अपनी आत्मा एपी विचारो, सोवो पाँव पसरी,“ऐसा जप जपो मन ली | सोऽहं सोऽहं अजपा गई ,असं द्रिधा करी धरो ध्यान | अहिनिसी सुमिरौ ब्रह्म गियान ,नासा आगरा निज ज्यों बाई | इडा पिंगला मध्य समाई ||,छः साईं सहंस इकिसु जप | अनहद उपजी अपि एपी ||,बैंक नाली में उगे सुर | रोम-रोम धुनी बजाई तुर ||,उल्टी कमल सहस्रदल बस | भ्रमर गुफा में ज्योति प्रकाश || गगन मंडल में औंधा कुवां, जहाँ अमृत का वसा |,सगुरा होई सो भर-भर पिया, निगुरा जे प्यासा । ।,
hi.. my granny used to chant this lot many times and we are devote of lord datta. Thanks for uploading this. do you have ghorathkashta uddharana stotra?
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