शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2008

गोरक्ष स्मरणं

नाकरोनादी रुपंच ठाकर स्थापय्ते सदा
भुवनत्रया में वैक श्री गोरक्ष नमोस्तुते,

न ब्रह्म विष्णु रुद्रो न सुरपति सुरा
नैव पृथ्वी न च चापो ------------१
नै वाग्नी नर्पी वायु , न च गगन तल
नो दिशों नैव कालं---------------२
नो वेदा नैव यध्न्या न च रवि शशिनो ,
नो विधि नैव कल्पा,--------------३
स्व ज्योति सत्य मेक जयति तव पद,
सचिदानान्दा मूर्ते----------------४

ॐ शान्ति ,अलख , ॐ शिव गोरक्ष ...........................
!! ॐ शिव गोरक्ष यह मंत्र है सर्व सुखो का सार ,जपो बैठो एकांत में ,तन की सुधि बिसार..........................!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें